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सांदीपनि विद्यालय में विधिक साक्षरता शिविर लगाया

बदनावर (धार) –  इस समय बाल अपराध के केस कोर्ट में बहुत अधिक आ रहे हैं। बच्चे अपराध करते हैं या उन्हें माध्यम बनाकर करवाए जाते हैं। ऐसे में शिक्षण संस्थानों व गुरुजनों का दायित्व बढ़ जाता है कि वे बच्चों की मानसिकता को विकृत न होने दे।
यह बात सांदीपनि विद्यालय में तहसील विधिक साक्षरता समिति के शिविर में अपर जिला न्यायाधीश जीसी मिश्रा ने कही।
शिविर में जिला अभियोजन अधिकारी नवीन बेतव एवं मानव अधिकार एक्टिविस्ट जयेश राजपुरोहित मौजूद थे।
राजपुरोहित ने विद्यार्थियों को पास्को एक्ट के बारे में बताया। बच्चों से कम उम्र में यौन अपराध भी होते हैं। इससे सजग रहने की सलाह दी।जिला अभियोजन अधिकारी नवीन बेतव ने कानून के बारे में अवगत कराया।
जिला न्यायाधीश ने विद्यार्थियों से उनके बीच जाकर रोचक ढंग से अपराध, कारण, कानून और दंड के बारे में समझाया। बच्चों से प्रश्नोत्तरी के माध्यम से बात की। कहा कि बच्चों में अपराध करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है और कई मास्टरमाइंड लोग उन्हें टारगेट करते हुए अपराध करवाते हैं। ताकि वे 18 साल से कम उम्र होने से बाल अपराधी के रूप में छूट जाए या सुधारगृह भेजने की सजा हो। न्यायालय में ऐसे प्रकरण भी आते हैं जिसमें कक्षा पांचवीं व छठी के विद्यार्थियों ने भी जघन्य अपराध किए हैं। इन अपराधों को देखते हुए छात्रों को नैतिक शिक्षा देना भी जरूरी है। ताकि उनकी मानसिकता में विकृति न आए।
आपने लैंगिक अपराधों को लेकर कहा कि प्रत्येक अपराध की स्पष्ट व्याख्या, कारण, सजा को विद्वान काउंसलर की तरह समझाया कि अपराध करके पछताने से अच्छा है हम अपराध ही नहीं करें।
मास्टरमाइंड लोग आज बच्चों को आगे करके अपराध करवाते हैं और उसका फायदा उठा रहे हैं। संविधान में कानून को मजबूत बनाया है। बालिकाओं के लिए कड़े कानून पास्को एक्ट में है किंतु हमारी नासमझी के कारण कम उम्र में सोचने समझने की शक्ति का उपयोग नहीं कर पाते हैं और बाल अपराधी बन जाते हैं।
आपने यातायात नियमों के साथ ही वाहन चलाने में होने वाली घटनाओं का उल्लेख करते हुए समझाया और बच्चों से खुलकर बातें की।
आपने सर्वाधिक बाल अपराध के बारे में ही विद्यार्थियों से आज चर्चा की। 18 वर्ष कम उम्र बालिका और 21 से कम उम्र बालको के होने पर होने वाले अपराध पर भी चर्चा की
विधिक साक्षरता शिविर में विद्यार्थी, शिक्षक-शिक्षिकाएं, कार्यालय का स्टाफ व न्यायालय से शांतिलाल कलमे नाजिर, चंद्रशेखर रील उपस्थित थे।
शुरू में स्वागत उद्बोधन रियाजुद्दीन शेख प्राचार्य ने दिया। समारोह का संचालन प्रदीप पांडेय ने किया। आभार माना वैभव चौरड़िया ने।

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