जीवन में अज्ञान, आलस्य और अनादर सफलता की सबसे बड़ी बाधाएँ है – पूज्य श्री आदित्य मुनिजी म.सा.


नागदा ज. (उज्जैन) चातुर्मास समिति अध्यक्ष आकाश बोरा एवं मीडिया प्रभारी नितिन बुडावनवाला ने जानकारी दी कि महावीर भवन स्थानक में प्रत्येक रविवार को श्री अणु पाठशाला का संचालन किया जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में बच्चे भाग ले रहे हैं। इस रविवार को अणु संस्कार शिविर का भी आयोजन किया गया। जिसमे मात्र 6 वर्ष की बालिका कु. तविषा पिता पुनीत भटनागर ने सुंदर कविता की प्रस्तुति दी।
पावन धर्मसभा को संबोधित करते हुए अणु वत्स पूज्य श्री संयतमुनिजी म.सा. ने बताया कि नवकार मंत्र के 5 पद होते हैं, जिनमें केवल एक सिद्ध के लिए है जिनका कोई शरीर नहीं होता, बाकी के 4 शरीरधारी हैं जिनमें रोग व व्याधियाँ हो सकती हैं। जब तक शरीर है, तब तक सभी प्रकार की कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं। जैसे लोहे में अग्नि प्रवेश करने पर वह पिघलता है, वैसे ही शरीर में जब आत्मा प्रवेश करती है तो उसे दुःख भी सहना पड़ता है। शरीर न अपना होता है, न ही अपने साथ चलता है। ओस की बूँद तेज़ धूप और गर्म हवा में जैसे ग़ायब हो जाती है, वैसे ही यह शरीर भी क्षणभंगुर है।
सेवाभावी पूज्य श्री आदित्य मुनिजी म.सा. ने कहा कि व्यवहार और आचरण के विपरीत कभी कोई कार्य नहीं करना चाहिए। आज के समय में लोग केवल धन कमाने, टॉप 10 बनने के लिए दूसरों को नीचा दिखाते हैं और अपने नाम को ऊँचा उठाने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोग अशिष्ट, अचरित्री और केवल दिखावे के लिए धर्म का नाम लेते हैं। यह केवल धन के पीछे भागते हैं, धर्म के मार्ग पर नहीं चलते। जीवन में अज्ञान, आलस्य और अनादर सफलता की सबसे बड़ी बाधाएँ हैं।
उन्होंने बताया कि 7 उपवास की तपस्या गुरु नाम से पूर्ण की गई है। कार्यक्रम में आतिथ्य सत्कार का लाभ रजनीश भटनागर परिवार एवं सुरेन्द्र पितलिया परिवार ने लिया। संचालन सुरेन्द्र पितलिया द्वारा किया गया एवं आभार वर्धमान धोका ने व्यक्त किया।